Operating System Kya hai – ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है। जानिए परिभाषा, कार्य, प्रकार और विशेषतायें !

Operating System Kya hai | हम जो मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप इस्तेमाल करते है । ये सब बगैर सॉफ्टवेयर के कुछ काम का नहीं है । इसमें जो सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करते है उसे ही ऑपरेटिंग सिस्टम  (Operating System) कहते है। ऑपरेटिंग सिस्टम उतना ही जरुरी है जितना जरुरी खून हमारे शरीर के लिए है। आइये हम इस लेख (Post) ‘Operating System Kya hai’ में विस्तार से ये जानते है की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है। इसकी विशेषतायें क्या है? साथ ही हम ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार के बारे में डिटेल्स से समझेंगे। 

Operating System Kya hai
Operating System Kya hai

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? Operating System Kya hai – What is Operating system in Hindi

ऑपरेटिंग सिस्टम(OS) एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर हार्डवेयर का प्रबंधन करता है और कंप्यूटर सिस्टम के सभी अलग-अलग हिस्सों का प्रबंधन करता है। इसे हम शार्ट में OS भी कहते है। ऑपरेटिंग सिस्टम आपके और कंप्यूटर सिस्टम के बीच एक सेतु की तरह ताकि आप कंप्यूटर के साथ संचार कर सकें। 

ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर सिस्टम की संपूर्ण कार्यक्षमता को नियंत्रित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता को कंप्यूटर हार्डवेयर के साथ इंटरफेस करने और कंप्यूटर पर अन्य सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन का उपयोग करने की अनुमति देता है। 


ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और कंप्यूटर के बीच में परस्पर तालमेल बैठाता है। आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता के अनुकूल सीखने में आसानी प्रदान करते हैं और उपयोगकर्ता और इंटरफ़ेस कॉल ग्राफिकल यूजर इंटरफेस(GUI) का उपयोग करते हैं जो अन्य उपयोगकर्ताओं को माउस और पॉइंट का उपयोग करने की अनुमति देता है और कंप्यूटर को दिए जाने वाले कमांड पर क्लिक करता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के उदहारण। Example of Operating system

बाजार में विभिन्न प्रकार के लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम उपलब्ध हैं जो हमलोग अपने मोबाइल,कंप्यूटर या सर्वर्स में इनस्टॉल कर अपनी जरुरत के मुताबिक उपयोग करते है। इसमें कुछ लइसेंस्ड वेर्सिओ और कुछ ओपन सोर्स (free version) है।

1. Windows 7,8,10 और 11 version (विंडोज़ 7,8,10 और 11 संस्करण)

2. MacOS for Apple Macintosh Computers (ऐप्पल मैकिंटोश कंप्यूटर के लिए मैकोज़)

3. Linux Operating system

4. Solaris

5. Unix

6. Android

7. IOS

8. CentOS

9. Black Berry

10. Mint

11. Ubuntu


ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य – Functions of operating system


Hardware Management: –

कंप्यूटर के सभी डिवाइस जो एक साथ कंप्यूटर सिस्टम बनाते हैं और ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा नियंत्रित होते हैं। जोभी हम नए डिवाइस इनस्टॉल करते है वो सब ऑपरेटिंग सिस्टम में रजिस्टर होते है। उदहारण के लिए अगर कोई प्रिंटर उपयोग करने की जरूरत है तो हमें सबसे पहले प्रिंटर का ड्राइवर सिस्टम में इनस्टॉल करना होगा। तभी हम प्रिंटर को अपने कंप्यूटर से प्रिंट कमांड दे सकते है। ये सब बगैर ऑपरेटिंग सिस्टम के पॉसिबल नहीं है।

Software Management: –

Hardware की तरह सॉफ्टवेयर को भी हमें कंप्यूटर में इनस्टॉल करना होता है। और ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे द्वारा इनस्टॉल किये गए सॉफ्टवेयर को रजिस्ट्री में इनफार्मेशन को रजिस्टर करता है। किसी भी सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करने के लिए कितना स्पेस (Memory) चाहिए हमें ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर ही बता है। साथ ही सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल कैसे करे ये भी एक ऑपरेटिंग सिस्टम ही इंस्ट्रक्शन देता है। सॉफ्टवेयर को जब हम अपडेट या un-install करते है तो ऑपरेटिंग सिस्टम ही इनफार्मेशन को मैनेज करता है।

Data and storage management: –

ऑपरेटिंग सिस्टम सभी डाटा और स्टोरेज का ट्रैक रखता है। कौन सी डाटा किस ड्राइव या पार्टीशन में है इनसबका इनफार्मेशन ऑपरेटिंग सिस्टम के जिम्मे होता है। हमारे कंप्यूटर में दो तरह के मेमोरी होते है एक प्राइमरी मेमोरी और दूसरा सेकंडरी मेमोरी। प्राइमरी मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम का सॉफ्टवेयर या अन्य सपोर्टिव सॉफ्टवेयर इनस्टॉल होते है। वहीँ सेकेंडरी मेमोरी में यूजर का डाटा स्टोर होता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा लिया गया data and storage management (निष्पादित डेटा और भंडारण प्रबंधन कार्य) निम्नलिखित है।  

⇒ यह फाइलों को सहेजने, खोलने और स्थानांतरित करने में मदद करता है।

⇒आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम डिस्क स्थान को संरक्षित करने, डेटा को एन्क्रिप्ट करने, फ़ाइल छिपाने और अनधिकृत पहुंच को रोकने के लिए फ़ोल्डर लॉकिंग विधाओं के लिए बल्क फ़ाइलों को संपीड़ित करने की सुविधाएँ प्रदान करते हैं।


⇒ ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध विभिन्न उपयोगिताओं जैसे डिस्क मैनेजर डिस्क विभाजन बनाने और उन्हें स्वरूपित करने की अनुमति देता है, डीफ़्रेग्मेंटर तेज़ एक्सेस के लिए हार्ड डिस्क पर डेटा को पुनर्व्यवस्थित करने की अनुमति देता है।

⇒ सिस्टम पुनर्स्थापना सुविधा किसी विशेष तिथि और समय पर सिस्टम को उसकी मूल स्थिति में पुनर्स्थापित करने की अनुमति देती है।

⇒ बैकअप/पुनर्स्थापना पिछली अपडेट की गई फाइलों की जांच करके और किसी भी डेटा हानि के दौरान फाइलों के भंडारण की जांच करके डेटा के तेजी से बैकअप को बाहरी स्टोरेज डिवाइस जैसे टेप में ले जाने की अनुमति देता है।

Resource Management

रिसोर्स मैनेजमेंट एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है ऑपरेटिंग सिस्टम में  जिसमे सभी चलने वाली प्रोसेस(running process) को मैनेज करने के लिए । इसमें रिसोर्स को मैनेज करने के लिए कई सारे अल्गोरिथम डिज़ाइन किये गए है जो जरुरी  प्रोसेस को रिसोर्स(resource allocate) प्रदान  करता है  सुचारु रूप से चलने (execute) करने के लिए। 

Types of Operating system – ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार 

हम बखूबी जानते है की एक ऑपरेटिंग सिस्टम फाइलों, प्रक्रियाओं और मेमोरी को प्रबंधित करने जैसे सभी बुनियादी कार्य करता है। और इस प्रकार ऑपरेटिंग सिस्टम सभी संसाधनों के प्रबंधक के रूप में कार्य करता है, अर्थात संसाधन प्रबंधक। इस प्रकार,ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता और मशीन के बीच एक इंटरफ़ेस बन जाता है ताकि कंप्यूटर को manage करना easy to use हो सके।

एक ऑपरेटिंग सिस्टम मूल रूप से निम्न प्रकार के होते हैं।

Batch Operating System:-

बैच ऑपरेटिंग सिस्टम सीधे कंप्यूटर से इंटरैक्ट नहीं करता है। एक ऑपरेटर है जो समान आवश्यकता वाले समान कार्य लेता है और उन्हें बैचों में समूहित करता है। समान जरूरतों के साथ Jobs को छांटना ऑपरेटर की जिम्मेदारी है।

एक से अथिक उपयोगकर्ता (User) बैच सिस्टम साझा कर सकते हैं। बैच सिस्टम में बड़े कार्य को बार-बार प्रबंधित करना आसान है

Time Sharing Operating System

हर कार्य को करने के लिए एक निर्धारित समय दिया जाता है ताकि सभी कार्य सुचारु रूप से चल सके। प्रत्येक उपयोगकर्ता को CPU का समय मिलता है क्योंकि वे एक ही सिस्टम का उपयोग करते हैं। इन प्रणालियों को मल्टीटास्किंग सिस्टम के रूप में भी जाना जाता है।

इसमें कार्य एकल उपयोगकर्ता(Single user) या विभिन्न उपयोगकर्ताओं (Multiuser) से भी हो सकता है। प्रत्येक कार्य को करने में लगने वाला समय
क्वांटम कहलाता है। इस समय अंतराल के बाद OS अगले कार्य पर स्विच हो जाता है।

 

Distributed Operating System


जैसा की काम जानते है आजकल डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम ऑपरेटिंग सिस्टम के महत्वपूर्ण प्रकारों में से एक है। इसमें कई वास्तविक समय के अनुप्रयोगों और कई उपयोगकर्ताओं की सेवा के लिए वितरित सिस्टम द्वारा कई केंद्रीय प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। डाटा प्रोसेसिंग Jobs को प्रोसेसर के बीच वितरित किया जाता है।

प्रोसेसर विभिन्न संचार लाइनों (जैसे हाई-स्पीड बस या टेलीफोन लाइन) के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं। इन्हें शिथिल युग्मित प्रणाली या वितरित प्रणाली के रूप में जाना जाता है। इस प्रणाली में प्रोसेसर आकार और कार्य में भिन्न हो सकते हैं। उन्हें साइट, नोड्स, कंप्यूटर आदि के रूप में संदर्भित किया जाता है।

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करने का प्रमुख लाभ यह है कि यह हमेशा संभव है कि एक उपयोगकर्ता उन फ़ाइलों या सॉफ़्टवेयर तक पहुँच प्राप्त कर सकता है जो वास्तव में उसके सिस्टम पर मौजूद नहीं हैं। लेकिन इस नेटवर्क के भीतर जुड़े किसी अन्य सिस्टम यानी रिमोट एक्सेस को सक्षम किया गया है। उस नेटवर्क से जुड़े डिवाइस।

 
 

Network Operating System

ये सिस्टम एक सर्वर पर चलते हैं और डेटा, उपयोगकर्ता, समूह, सुरक्षा, एप्लिकेशन और अन्य नेटवर्किंग कार्यों को प्रबंधित करने की क्षमता प्रदान करते हैं। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम एक छोटे से निजी नेटवर्क पर फाइलों, प्रिंटरों, सुरक्षा, एप्लिकेशन और अन्य नेटवर्किंग कार्यों की साझा पहुंच की अनुमति देते हैं। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सभी उपयोगकर्ता अंतर्निहित कॉन्फ़िगरेशन, नेटवर्क के अन्य सभी उपयोगकर्ताओं, उनके व्यक्तिगत कनेक्शन आदि के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं और यही कारण है कि इन कंप्यूटरों को लोकप्रिय रूप से tightly coupled systems के रूप में जाना जाता है।

Real-Time Operating System

इस प्रकार के OS रीयल-टाइम सिस्टम की सेवा करते हैं। इनपुट को संसाधित करने और प्रतिक्रिया देने के लिए आवश्यक समय अंतराल बहुत छोटा है। इस समय अंतराल को प्रतिक्रिया समय कहा जाता है।

रीयल-टाइम सिस्टम का उपयोग तब किया जाता है जब समय की आवश्यकताएं बहुत सख्त होती हैं जैसे मिसाइल सिस्टम, एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, रोबोट आदि।

रीयल-टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार हैं:

 

  1. Hard Real-Time Systems: 

ये ओएस उन अनुप्रयोगों के लिए हैं जहां समय की कमी बहुत सख्त है और यहां तक ​​कि कम से कम संभव देरी भी स्वीकार्य नहीं है। इन प्रणालियों को स्वचालित पैराशूट या एयरबैग जैसे जीवन को बचाने के लिए बनाया गया है जो किसी भी दुर्घटना के मामले में आसानी से उपलब्ध होने की आवश्यकता होती है। इन प्रणालियों में वर्चुअल मेमोरी शायद ही कभी पाई जाती है।

 
  1. Soft Real-Time Systems: 

 
इसमें वक्त की पाबन्दी थोड़ी कम होती है। सॉफ्ट रियल टाइम सिस्टम में, प्रत्येक कार्य के लिए समय सीमा को पूरा करने की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है। 

 

 

Command Line User Interface OS: 

ऑपरेटिंग सिस्टम एक कमांड लाइन प्रदान करता है जिस पर उपयोगकर्ता कंप्यूटर पर कार्यों को पूरा करने के लिए कमांड टाइप कर सकता है

 

Graphical User Interface OS:

सर्च ऑपरेटिंग सिस्टम ग्राफिकल मेन्यू बटन टास्कबार डायलॉग बॉक्स आदि से बना एक इंटरफेस प्रदान करते हैं, वे माउस की मदद से संचालित होते हैं उपयोगकर्ता को कमांड में कुंजी की आवश्यकता नहीं होती है अधिकांश कार्य परीक्षण माउस के साथ कमांड पर क्लिक करके किया जाता है

 

Mobile OS :

मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को मोबाइल ओएस भी कहा जाता है, एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जो स्मार्टफोन टैबलेट पीडीए या अन्य मोबाइल डिवाइस को संचालित करता है

 

ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं । Features of operating system

 

Operating System Kya hai – ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है पोस्ट में हम ये देखेंगे की ऑपरेटिंग सिस्टम की क्या क्या विशेषताएं है । 

→ ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर को GUI- इंटरफ़ेस प्रदान करता है ताकि यूजर आसानी से कंप्यूटर को ऑपरेट कर सके । 

→ यूजर और कंप्यूटर प्रोग्राम के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। 

→ ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर कंपोनेंट्स , एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर , फाइल्स और प्रोसेसर को मैनेज करता है। ताकि हमारा कंप्यूटर सुचारु रूप से कार्य कर सके ।

→ ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच तालमेल बैठाता है और ये सुनिश्चित करता है की कंप्यूटर बिना किसी एरर (Error) के कार्य कर सके । 

→ ऑपरेटिंग सिस्टम सिस्टम हेल्थ के बारे में हमें सूचित करता रहता है की अमुक डिवाइस और सॉफ्टवेयर सही से कार्य नहीं कर रहा है । तभी हम प्रोऐक्टिवली प्रॉब्लम को फिक्स कर पाते हैं ।

→ ऑपरेटिंग सिस्टम सभी सॉफ्टवेयर के version और अपडेट का इनफार्मेशन रखता है । हर एक्टिविटी का रिकॉर्ड रखता है । 

→ एक ऑपरेटिंग सिस्टम ही हमें कट , कॉपी , पेस्ट , फाइल ट्रांसफर , फाइल कर डॉक्यूमेंट को सेव (Save) करने की सहूलत मुहैया करता है। 

→ ऑपरेटिंग सिस्टम हमें ये ऑप्शन देता है की कोई टास्क schedule कर सके। किसी भी टास्क को हम विंडो Scheduler से शेडूल कर सकते है। 

→ ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system) हमारे कम्यूटर (Computer) , सर्वर को सिक्योर भी करता है । यह पासवर्ड और फ़ायरवॉल को मैनेज करता है और ये सुनिश्चित करता है की कंप्यूटर सिक्योर रहे।

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